‘देश में शराब की खपत में चिंताजनक वृद्धि’

नई दिल्ली, 09 फरवरी । उपभोक्ताओं के हितों के लिए काम करने वाले स्वैच्छिक संगठन कंज्यूमर वॉयस ने देश में 2005 से 2016 के बीच प्रति व्यक्ति शराब की खपत 2.4 लीटर से बढ़कर 5.7 हो जाने पर गुरुवार को चिंता व्यक्त करते हुए

‘देश में शराब की खपत में चिंताजनक वृद्धि’

नई दिल्ली, 09 फरवरी । उपभोक्ताओं के हितों के लिए काम करने वाले स्वैच्छिक संगठन
कंज्यूमर वॉयस ने देश में 2005 से 2016 के बीच प्रति व्यक्ति शराब की खपत 2.4 लीटर से


बढ़कर 5.7 हो जाने पर गुरुवार को चिंता व्यक्त करते हुए इसका सेवन विनियमित करने के लिए
सरकार को अपनी सिफारिशें की हैं। कंज्यूमर वॉयस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशीम सान्याल ने


संवाददाता सम्मेलन में कहा,“ भारत में 15 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में शराब की खपत


सबसे अधिक वृद्धि देखी जा रही है। हम शराब की प्रति व्यक्ति खपत और इसके परिणामों के बारे
में चिंतित है।”


उन्होंने कहा, “देश में शराब की खपत कम करने के लिए केन्द्रीय नीति नहीं है। देश में शराब के
सुरक्षित तरीके से उपभोग पर कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं। शराब पर भारी कर से मिलने वाले राजस्व


को देखते हुए राज्य अल्कोहल आधारित पेय उद्योग को दुधारु गाय के रूप में देखते हैं। शराब


नियंत्रण की जिम्मेदारी आबकारी विभाग के पास है,इसलिए सरकार को शराब की खपत कम करने के
लिए स्वास्थ्य विभाग काे इस कार्य में शामिल करने की आवश्यकता है।” श्री सान्याल ने कहा कि


सरकार शराब नीतियां बनाते समय स्वास्थ्य की उच्च स्तरीय और सामाजिक देखभाल लागतों को
शामिल करने के लिए व्यापक सामाजिक पहलुओं पर विचार करे।


उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने भारत में शराब सेवन पर एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें कहा गया
है कि देश में ज्यादा अल्कोहल वाली शराब की प्रति व्यक्ति औसत सालाना खपत 13.5 लीटर शुद्ध


शराब के साथ दुनिया में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर अधिक शराब पीने वाले
कम मादक पेय पदार्थों के बजाय उच्च मादक पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। देश में शराब पीने के


पैटर्न से यह संकेत मिलते हैं कि लोग ‘नशे की लत में’ पीते हैं। संगठन का कहना है कि दिन में 60
ग्राम से अधिक शुद्ध शराब की खपत भारी मादक उपभोग की श्रेणी में आती है। दुनिया के 144


देशों में इस तरह का उपभोग कम हुआ है। नौ देशों में उपभोग का स्तर अपरिवर्तित है जबकि भारत
उन देशों में शामिल है जहां इसकी वृद्धि हो रही है। श्री सान्याल ने कहा कि इन तथ्यों काे देखते


हुए शराब के सेवन को विनियमित करना अत्यंत आवश्यक है जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ
खिलवाड़ न हो।