अयोध्या में एक माह में घट गए चार हजार से अधिक मनरेगा मजदूर

अयोध्या, 19 फरवरी (। मनरेगा योजना में ऑनलाइन हाजिरी लगाने के आदेश आने के बाद ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्यों में कमी आ गई है।

अयोध्या में एक माह में घट गए चार हजार से अधिक मनरेगा मजदूर

अयोध्या, 19 फरवरी । मनरेगा योजना में ऑनलाइन हाजिरी लगाने के आदेश आने के
बाद ग्राम पंचायतों में मनरेगा के कार्यों में कमी आ गई है। जिले की ग्राम पंचायतों में मनरेगा


योजना के तहत व्यक्तिगत कार्यों की संख्या बढ़ गई है। पिछले एक माह में रोजाना काम करने वाले
मनरेगा मजदूरों की संख्या चार हजार के लगभग कम हो गई है। गुरुवार तक के आंकड़ों के अनुसार


जनपद की 835 ग्राम पंचायतों में होने वाले कार्यों पर काम करने वाले मजदूरों की संख्या मात्र 21

हजार 466 रह गई है। जबकि एक माह पहले रोजाना काम करने वाले श्रमिको की संख्या 25 हजार
से अधिक रहती थी।


जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या 835 है। जिसमें विकास कार्य कराने व गांवों में मजदूरों को
रोजगार देने के लिए मनरेगा योजना संचालित की गई है। शासन ने मनरेगा योजना में काम करने


वाले श्रमिकों की हाजिरी आनलाइन भेजने का निर्देश दिया है। जिससे मजदूरों की संख्या गलत
अंकित करने पर रोक लगी है। मनरेगा कार्यस्थल पर काम करने वाले श्रमिकों की ही ऑनलाइन


हाजिरी लग पाती है। इसी के चलते इस माह गुरुवार तक मनरेगा योजना के तहत इन ग्राम पंचायतों
में मात्र 1250 कार्य संचालित थे।

जिसमें 1058 कार्य सामुदायिक (व्यक्तिगत) शामिल हैं। अमृत
सरोवर, सड़क निर्माण व अन्य कार्यों की संख्या केवल 112 है। सार्वजनिक कार्यों की संख्या कम होने


के कारण मनरेगा योजना में रोजाना काम करने वाले मजदूरों की संख्या घटकर 21 हजार 466 पहुंच
गई है। जबकि एक माह पहले ग्राम पंचायतों में चलने वाले कार्यों में प्रतिदिन 24 हजार 898 से


अधिक श्रमिक काम पर लगे थे। ग्राम प्रधानों का कहना है कि मनरेगा योजना में मजदूरी कम होने
के कारण मजदूर काम करने को तैयार नहीं है।


समय से भुगतान न होने से संकट
मनरेगा योजना में काम करने वाले श्रमिकों को समय पर भुगतान भी शासन से नहीं मिल पा रहा


है। जनपद में काम करने वाले मनरेगा मजदूरों की 418.13 लाख रुपए मजदूरी बकाया है। पक्का
काम कराने वाली ग्राम पंचायतों का सामाग्री के रूप में 4283.31 लाख रुपए बकाया है। मनरेगा में


समय से भुगतान नहीं होने के कारण ग्राम पंचायतों को काम कराना मुश्किल हो गया है। पंचायत में


मनरेगा का काम कराने वाले लोगों ने काम कराने के बाद श्रमिकों का कई दिन की मजदूरी का
भुगतान नहीं किया है।