उप्र के ‘कालानमक चावल’ और बिहार के ‘मखाना’ को बढ़ावा देने के प्रयास को मिला पुरस्कार

नई दिल्ली, 21 अप्रैल (। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन द्वारा ‘कालानमक चावल’ और बिहार के दरभंगा जिले के अधिकारियों द्वारा ‘मखाना’ को बढ़ावा

उप्र के ‘कालानमक चावल’ और बिहार के ‘मखाना’ को बढ़ावा देने के प्रयास को मिला पुरस्कार

नई दिल्ली, 21 अप्रैल ( उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन द्वारा ‘कालानमक चावल’ और बिहार
के दरभंगा जिले के अधिकारियों द्वारा ‘मखाना’ को बढ़ावा देने के प्रयासों को बृहस्पतिवार को लोक प्रशासन में
उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार से यहां सम्मानित किया गया।


इसके अलावा, फसल उगाने के लिए लद्दाख कृषि विभाग द्वारा ‘ग्रीनहाउस’ बनाये जाने और वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
एवं अनंतनाग (जम्मू कश्मीर) नगर निगमों द्वारा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी यह पुरस्कार
प्रदान किया गया।


प्रधानमंत्री ने यहां विज्ञान भवन में 15वें सिविल सेवा दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में संबद्ध
अधिकारियों को ये पुरस्कार दिये।


‘भगवान बुद्ध का उपहार’ कहे जाने वाले कालानमक चावल को ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) नामक योजना
के तहत पुरस्कृत किया गया है। यह योजना जिले के समग्र विकास के लिए एक मिशन आधारित योजना है।


‘कालानमक चावल’ उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के आकांक्षी जिले सिद्धार्थनगर का ओडीओपी उत्पाद है। संयुक्त राष्ट्र
के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा दुनिया के विशिष्ट चावलों में शामिल किया गया यह चावल अपनी
अनूठी सुगंध एवं पोषक गुण के लिए जाना जाता है।


इस चावल को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया है कि 2018 में जहां 2,700 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती होती थी,
वहीं 2020 में यह बढ़कर 6,000 हेक्टेयर और 2021 में 12,000 हेक्टेयर हो गयी।

साथ ही, किसानों की आय में कई गुणा वृद्धि हुई क्योंकि इस चावल का मूल्य 2018 के 40 रूपये प्रति किलोग्राम
से बढ़कर 2020 में 90 रूपये प्रति किलोग्राम और 2021 में 135 रूपये प्रति किलोग्राम हो गया। प्रशस्ति पत्र में
यह उल्लेख किया गया है।


प्रशस्ति पत्र के मुताबिक, ‘मखाना’ बिहार के दरभंगा जिले का ओडीओपी है। दरभंगा जिले में 875 तालाबों से
सालाना 4,000 टन मखाना की पैदावार होती है। करीब सवा लाख परिवार मखाना की खेती, प्रसंस्करण आदि कार्य
में लगे हैं।