तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में जांच पूरी :

मुंबई, 30 जनवरी । केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि उसने 2013 में तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच पूरी कर ली है और जांच अधिकारी ने सक्षम अधिकारी को क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है।

तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में जांच पूरी :

मुंबई, 30 जनवरी ( केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय
को बताया

कि उसने 2013 में तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच पूरी कर ली है और जांच
अधिकारी ने सक्षम अधिकारी को क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी है।


दाभोलकर की बेटी का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने हालांकि अदालत के समक्ष दावा किया कि


सीबीआई ने समुचित ढंग से मामले की जांच नहीं की और अब भी कई खामियां हैं जिनकी जांच
किया जाना बाकी है।

नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को सुबह की सैर के दौरान पुणे के ओंकारेश्वर पुल पर दो
मोटरसाइकिल सवारों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

वह महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन
समिति के संस्थापक भी थे।

सीबीआई ने अब तक इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप-
पत्र दाखिल किया है।


अदालत ने इस महीने की शुरुआत में सीबीआई से मामले में उसकी जांच की स्थिति बताने को कहा
था। सीबीआई की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति एएस


गडकरी और न्यायमूर्ति पीडी नाइक की खंडपीठ को सोमवार को बताया कि एजेंसी ने मामले में
अपनी जांच पूरी कर ली है।


सिंह ने अदालत को बताया, “जहां तक सीबीआई का संबंध है, जांच की गई और अब वह पूरी हो
चुकी है…32 गवाहों में से 15 से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है।” उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी


ने मामले को बंद करने की सिफारिश करते हुए एक रिपोर्ट दायर की है। उन्होंने कहा कि अंतिम
फैसला एजेंसी के सक्षम प्राधिकारी द्वारा लिया जाएगा।

अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने क्लोजर
रिपोर्ट पर फैसले के लिये तीन हफ्तों का समय मांगा।


उच्च न्यायालय ने इसे स्वीकार कर लिया और मामले में सुनवाई की अगली तारीख तीन हफ्ते बाद
की दी है। खंडपीठ दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई


कर रही थी, जिसमें अदालत से जांच की निगरानी जारी रखने का अनुरोध किया गया था। कार्यकर्ता
केतन तिरोडकर और फिर मुक्ता दाभोलकर की एक याचिका के बाद 2014 में उच्च न्यायालय ने


जांच को पुणे पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया था। तब से उच्च न्यायालय मामले की
जांच की प्रगति की निगरानी कर रहा है।