नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बिल्डर

नोएडा, 21 दिसंबर। गौतमबुद्ध नगर रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी बड़ी खबर है। रियल्टर्स एसोसिएशन क्रेडाई ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बिल्डर

नोएडा, 21 दिसंबर । गौतमबुद्ध नगर रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ी बड़ी खबर है। रियल्टर्स
एसोसिएशन क्रेडाई ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा


खटखटाया है। बिल्डर सुप्रीम कोर्ट के 7 नवंबर के फैसले की समीक्षा दोबारा करवाना चाहते हैं।
दरअसल, दोनों विकास प्राधिकरण ने 250 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट को जमीन दी। बिल्डरों ने प्राधिकरण


को पैसा नहीं चुकाया। इस बकाया पर ब्याज की दर क्या रहेगी? यही विवाद प्राधिकरणों और बिल्डरों
के बीच सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।


7 नवंबर के फैसले की समीक्षा करवाना चाहते हैं बिल्डर
सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को फैसला सुनाया है, जो बिल्डरों के खिलाफ है। उस फैसले की समीक्षा के


लिए क्रेडाई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 के आदेश को
वापस ले लिया था, जिसमें ब्याज दरों पर कैपिंग की गई थी। डेवलपर्स नोएडा और ग्रेटर नोएडा


प्राधिकरणों को 8% की दर पर अपना बकाया चुकाना चाहते हैं। दूसरी तरह प्राधिकरण पेनल्टी लेना
चाहते हैं। भूमि आवंटन के वक्त निर्धारित ब्याज दर पर बकाया वसूली करना चाहते हैं। नोएडा

प्राधिकरण को 9,000 करोड़ रुपये की वसूली करनी है। बिल्डरों का तर्क है कि कठोर ब्याज दरों के
कारण उनकी आर्थिक दशा खराब है।

सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी के पक्ष को मंजूरी देकर रियल एस्टेट
कंपनियों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है।

दूसरी तरफ अथॉरिटी कह रही हैं कि बिल्डर बकाया
नहीं चुका रहे हैं। नोटिसों की अनदेखी की गई है।


19 जनवरी को समीक्षा याचिका पर होगी सुनवाई
क्रेडाई की समीक्षा याचिका पर सुनवाई नए साल में 19 जनवरी को होनी है।


इस बीच डेवलपर्स को नोएडा प्राधिकरण ने वसूली नोटिस भेजे है। प्रमाण पत्र (आरसी) जारी करने की
संभावना है।

आपको बता दें कि आरसी भूमि राजस्व की तरह बकाया राशि वसूल करने के लिए एक
कानूनी साधन है।

उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। जिसमें
सीलिंग भी शामिल है।

नोटिस आदेश का पालन करने की समय सीमा निर्धारित करते हैं। आपको
बता दें

कि नोएडा अथॉरिटी ने 17 नवंबर को 60 बिल्डरों को नोटिस भेजकर बकाया चुकाने को
आदेश दिया है।


क्रेडाई ने कहा-90% बिल्डर दिवालिया हो जाएंगे
अथॉरिटी के एक अफसर ने ट्राईसिटी टुडे से इस मुद्दे पर बातचीत करते हुए कहा, ;अभी आरसी
जारी की जा रही हैं।

अगर पैसा नहीं चुकाया गया तो भूमि आवंटन रद्द करने का निर्णय लिया जा
सकता है। बकाया को लेकर गतिरोध हजारों घर खरीदारों को भी प्रभावित कर है। जिन्हें अपने घर


मिल गए हैं, वह भी फ्लैटों का पंजीकरण नहीं करा सकते हैं। दूसरी ओर क्रेडाई के सदस्यों ने कहा,
;हमारे सदस्य मौजूदा कैलकुलेशन के हिसाब से बकाया भुगतान नहीं कर सकते हैं।

हालात ऐसे हैं कि
अगर सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर लागू हुआ तो 10 में से 9 डेवलपर इन दावों को निपटाने में दिवालिया


हो जाएंगे। मजबूर होकर बिल्डर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण से संपर्क करने के लिए मजबूर
होंगे।


बिल्डरों ने सुप्रीम कोर्ट में ओटीएस लाने की मांग की
क्रेडाई (पश्चिमी यूपी) के सचिव सुबोध गोयल ने कहा, ;हमने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर


की है, जिसमें राहत की मांग की गई है। हम कोर्ट, नोएडा अथॉरिटी और राज्य सरकार से वन टाइम
सेटलमेंट स्कीम मुहैया कराने का आग्रह कर रहे हैं

। हम सुप्रीम कोर्ट से अपने 7 नवंबर के आदेश की
समीक्षा करने और नोएडा प्राधिकरण को साधारण ब्याज वसूलने का निर्देश देने का आग्रह कर रहे हैं।