प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने लगाई केरल सरकार को फटकार

नई दिल्ली, 25 अगस्त ( नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने कहा है कि केरल के अष्टमुडी और वंबनाड- कोल वेटलैंड में प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा की जा रही कार्रवाई पर असंतोष व्यक्त किया है।

प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने लगाई केरल सरकार को फटकार

नई दिल्ली, 25 अगस्त । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने कहा है कि केरल के अष्टमुडी और वंबनाड-

कोल वेटलैंड में प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकारियों द्वारा की जा रही कार्रवाई पर असंतोष व्यक्त किया है।
एनजीटी ने कहा हे कि वेटलैंड में बढ़ता हुआ प्रदूषण जल अधिनियम 1974 के साथ-साथ वेटलैंड (संरक्षण और


प्रबंधन) नियम, 2017 का भी गंभीर रूप से उल्लंघन है। एनजीटी ने अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यावरण की
अध्यक्षता में एक निगरानी समिति के गठन का निर्देश दिया है। जिसमें अन्य सदस्य निदेशक पर्यटन, निदेशक


स्थानीय निकाय, निदेशक उद्योग, निदेशक पंचायत, केरल तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण, केरल राज्य प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्टेट वेटलैंड ऑथॉरिटी के अधिकारी शामिल होंगे।


एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि
निगरानी हर 14 दिन में एक बार की जानी चाहिए। गौरतलब है कि आवेदनकर्ता कृष्णा दास केवी ने इस मामले में

आवेदन दायर किया था। जिसमें उन्होंने केरल के कोल्लम में एक रामसर साइट, अष्टमुडी और वंबनाड-कोल वेटलैंड
को बचाने में अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई की विफलता के बारे में 24 फरवरी, 2022 को कोर्ट को अवगत


कराया था। आवेदक का कहना है कि फार्मास्युटिकल कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक, घरेलू कचरे, बूचड़खानों से
निकलते कचरे और कई अन्य स्रोतों से होती डंपिंग के कारण यह वेटलैंड कोल्लम शहर का प्रदूषित नाला बन गया
है।
इस मामले में केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 17 अगस्त, 2022 को दायर अपनी रिपोर्ट में भी स्वीकार किया
है कि दूषित सीवेज और अन्य कचरे के डाले जाने से झीलों में भारी प्रदूषण हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी जानकारी


दी गई है कि नावों को तोड़ने के कारण पैदा हो रहा कचरा भी इस वेटलैंड को दूषित कर रहा है। इसके कारण पैदा


हुए ठोस कचरे को किनारों पर जलाया जा रहा है झील में बढ़ते प्रदूषण के साथ-साथ मैंग्रोव को भी नुकसान पहुंचा
रहा है। यह भी पता चला है की जलीय कृषि और फिश प्रोसेसिंग इकाइयां भी प्रदूषण फैला रही हैं।