फिल्म आदिपुरुष और रामानंद सागर की रामायण चर्चाओं में

भारत में सबसे पहले रामानंद सागर के निर्देशन में रामायण के एपिसोड का प्रसारण दूरदर्शन से किया गया था। 25 जनवरी 1987 से 21 जुलाई 1988 तक दूरदर्शन में सुबह 9:30 बजे रामायण सीरियल आता था।

फिल्म आदिपुरुष और रामानंद सागर की रामायण चर्चाओं में

भारत में सबसे पहले रामानंद सागर के निर्देशन में रामायण के एपिसोड का प्रसारण दूरदर्शन से किया
गया था। 25 जनवरी 1987 से 21 जुलाई 1988 तक दूरदर्शन में सुबह 9:30 बजे रामायण सीरियल


आता था। इस सीरियल को देखने के लिए भारतवर्ष में सन्नाटा छा जाता था। लोग टीवी के सामने बैठ
जाते थे। जिनके घरों में टीवी नहीं था। आसपास के घरों में जाकर टीवी देखा करते थे। 1987 में राजीव


गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे। दूरदर्शन भी सरकारी मीडिया था। सरकार ने इस सीरियल के प्रसारण की
अनुमति दी थी। रामानंद सागर के निर्देशन में इस सीरियल का निर्माण हुआ था। इस सीरियल के लिए


शब्दों का चयन रजा साहब ने किया था। जो मुस्लिम धर्म के अनुयाई थे। उन्होंने जिन शब्दों का चयन
सीरियल के लिए किया, वह उसकी प्रमाणिकता जानने के लिए नरेंद्र शर्मा से लगातार चर्चा करते थे।


भारत के इतिहास में रामायण के 78 एपिसोड प्रसारित किए गए, यह इतना लोकप्रिय सीरियल था। इसे
देखने के लिये सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। रामानंद सागर द्वारा निर्देशित इस रामायण के पात्रों का


चयन और उनके संवाद को लेकर जो सतर्कता बरती गई थी। सीरियल में धार्मिक भावनाएं और धार्मिक
आस्थाओं का ऐसा समावेश था, सभी जाति समुदाय के लोगों ने रामायण सीरियल को देखकर राम के


बारे में जाना। हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई सहित सभी धर्मों के लोगों के मन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम
की प्रति जो आस्था बनी, वह आज भी अकल्पनीय है।


भगवान राम, बजरंगबली अब हिंदू आस्था में भारतीय जनता पार्टी, संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल
इत्यादि आस्था के प्रतीक हैं। हिंदू धर्म को सबसे ज्यादा आस्थावन लोगों द्वारा आदिपुरुष फिल्म का


निर्माण किया। भाजपा शासित मुख्यमंत्रियों ने इस फिल्म के निमार्ण में सहयोग दिया। आदिपुरुष के
गीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर (शुक्ला) जन्म से ब्राह्मण हैं। राम और बजरंगबली के प्रति उनकी


आस्थायें अटूट हो सकती हैं। यह माना जा रहा था, कि आदि पुरुष फिल्म से भारतीय जनता पार्टी को
2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए, हिंदू आस्थाओं को

जगाने में यह फिल्म बड़ी भूमिका अदा करेगी। भारतीय जनता पार्टी इस फिल्म के सहारे 2024 के
लोकसभा चुनाव को जीतने का मंसूबा बना रही थी। इसके निर्माण और प्रसारण के लिए भाजपा और संघ


के अनुवांशिक संगठनों के साथ-साथ केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारें भी, इस फिल्म के प्रमोशन में
सहयोग कर रही थी।


आदिपुरुष फिल्म का प्रदर्शन बड़े जोर शोर से किया गया। बड़े पैमाने पर फिल्म का प्रचार-प्रसार हुआ।
भाजपा संघ के नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्रियों ने भी इस फिल्म के प्रमोशन में खुलकर भागीदारी की।


पर्दे पर फिल्म प्रदर्शन के बाद अब सभी हिंदू संगठन और भाजपा इससे बचती हुई नजर आ रही हैं।
फिल्म का निर्माण, उसके संवाद, उसके पात्रों को काल्पनिक ढंग से जिस तरह से राम, रावण और


बजरंगबली के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसकी सारे देश में घोर निंदा हो रही है। रामानंद सागर की
रामायण सीरियल के संवाद और प्रस्तुतीकरण के साथ-साथ रामायण के साथ उसकी प्रमाणिकता ने


समाज के सभी वर्गों को प्रभावित किया था। वर्तमान में आदि पुरुष फिल्म के निर्माण में जिस तरह की
फूहड़ता और काल्पनिक ढंग से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम, सीता मैया, बजरंगबली और रावण के


चरित्र को दर्शाया गया है। उसकी हर जगह निंदा हो रही है। नेपाल ने भारतीय फिल्मों के दिखाए जाने


पर रोक लगा दी गई है। करणी सेना, राष्ट्रीय हिंदू सेना एवं भाजपा के विधायक और मंत्री भी इस
फिल्म को लेकर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। आदिपुरुष के निर्माता निर्देशक लेखक मनोज मुंतशिर


शुक्ला भी डायलॉग को सुधारने की बात कर रहे हैं। लेकिन फिल्म प्रदर्शन के बाद जो तीव्र प्रतिक्रिया
आम जनता के बीच में देखने को मिल रही है। उसमें यह कहा जा सकता है, कि फिल्म ने करोड़ों रुपए


की कमाई भले कर ली हो। इस फिल्म के प्रसारण से हिंदुत्व के मुद्दे पर सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय
जनता पार्टी और संघ के अनुवांशिक संगठनों को हुआ है। हिंदुत्व को लेकर जो ठेकेदारी, भारतीय जनता


पार्टी ने अभी तक ले रखी थी। उसमें आम जनता के मन में अब वह आस्था और विश्वास नहीं रहा, जो
पिछले वर्षों में भारतीय जनता पार्टी ने बनाने की कोशिश की थी। अब तो लोग रामानंद सागर की


रामायण और आदिपुरुष फिल्म की तुलना कर रहे हैं। 1987 में दूरदर्शन से कांग्रेस की सत्ता थी। कांग्रेस
ने रामायण सीरियल के प्रसारण की अनुमति दी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राम मंदिर का
ताला खुलवाया था। आम लोगों के बीच में चर्चा होने लगी है

, कि भगवान राम और बजरंगबली के प्रति
जो आस्था कांग्रेस की थी। भाजपा तो उनके नाम पर पाखंड फैला रही है। राम और बजरंगबली का नाम


लेकर सत्ता में काबिज होने के लिए हिंदुत्व का ढोंग कर रही है। आदिपुरुष फिल्म के प्रदर्शन से सबसे
ज्यादा नुकसान यदि किसी को होता हुआ दिख रहा है, तो वह भारतीय जनता पार्टी और संघ है। सत्ता


का मद और अहंकार सिर चढ़कर बोलता है। संघ और भाजपा नेताओं में यह दिखने भी लगा है। आदि
पुरुष फिल्म को लेकर जिस तरह से भाजपा और संघ ने चुप्पी साध रखी है। वह एक तरह से आग में


घी डालने का काम कर रही है। इस फिल्म के कारण भाजपा की हिन्दुत्व की छबि को बड़ा नुकसान होता
हुआ दिख रहा है।