बसंत पंचमी पर ठाकुर बांकेबिहारी ने कमर में फेंटा बांध खेली भक्तों संग होली

मथुरा, 26 जनवरी । ब्रज की विश्व प्रसिद्ध होली की शुरुआत बसंत पचंमी से हो गई है। गुरुवार को भक्तों ने भगवान बांके बिहारी से होली खेली।

बसंत पंचमी पर ठाकुर बांकेबिहारी ने कमर में फेंटा बांध खेली भक्तों संग होली

मथुरा, 26 जनवरी (। ब्रज की विश्व प्रसिद्ध होली की शुरुआत बसंत पचंमी से हो गई है।
गुरुवार को भक्तों ने भगवान बांके बिहारी से होली खेली।

मंदिर के पुजारी ने भगवान बांके बिहारी जी
का प्रसादी यानी गुलाल भक्तों पर बरसाया।


ब्रज की होली का यह उत्सव 40 दिनों तक चलेगा। इसमें शामिल होने के लिए विदेशों से पर्यटकों का
पहुंचना शुरू हो गया है

। बांके बिहारी मंदिर परंपरा के मुताबिक मंदिर में श्रृंगार आरती के बाद सबसे
पहले बांके बिहारी के गुलाल का टीका लगाया।


बसंत पंचमी के मौके पर ठा. बांके बिहारी महाराज ने कमर में फेंटा बांधकर और बसंती लट्ठ धारण
कर अपने भक्तों के साथ होली खेली। सुबह आरती के बाद मंदिर में गुलाल उड़ा तो श्रद्धालु लाल-


पीले-हरे रंगों में रंग उठे। बांके बिहारी लाल के जयकारों से मंदिर गूंज उठा। दूर दराज क्षेत्रों से अपने
परिजनों के साथ मंदिर में आई युवतियां ठाकुर जी के साथ होली खेलने के लिए काफी जोश में


दिखाई दे रही थी। काफी महिला श्रद्धालु अपने घर से लड्डू गोपाल को भी मंदिर में लाई जहां


उन्होंने उनकी सुंदर नयन भिराम मूर्तियों पर गुलाल लगाकर आनंद उठाया। पूरे बृज में 40 दिवसीय
फाग महोत्सव शुरू हो जाता है।


मंदिर सेवायत जॉनी गोस्वामी और मयंक गोस्वामी ने बताया कि बसंत पंचमी से होली के डांढा
गढ़ना प्रारंभ हो जाता है।

देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बृज का होरा देखने के लिए आते हैं। बसंती
पोशाक धारण किये ठाकुरजी की आरती में श्रद्धालुओं की जमकर भीड़ उमड़ी। दोपहर में बिहारीजी


को राजभोग सेवा में दूध भात सहित पीले रंग वाले मिष्ठानों का भोग लगाया जाएगा। बसंत पंचमी
पर बांके बिहारी में गुलाल उड़ने के साथ ही बृज में होली का डाँढ़ा गाढ़ने की भी परम्परा है इसीलिए


यहां जगह-जगह पूजा-अर्चना करने के साथ होलिका बनाने की भी शुरूआत हो जाती है। ब्रज में 40
दिन तक चलने वाली होली का आनंद लेने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में कान्हा की नगरीआये है।


बसंत पंचमी पर्व को लेकर प्रशासन की व्यवस्थाएं संतोषजनक कही जा सकती है।