बेदनी बुग्यालः हर मौसम में दिखेगा नया रंग और नया नजारा

कल्पना कीजिए आप हजारों फीट की ऊंचाई पर मीलों तक फैले हरे मखमली घास के ढलाऊ मैदान पर टहल रहे हों। आपके ठीक सामने हाथ बढाकर बस छू लेने लायक बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां हों।

बेदनी बुग्यालः हर मौसम में दिखेगा नया रंग और नया नजारा

कल्पना कीजिए आप हजारों फीट की ऊंचाई पर मीलों तक फैले हरे मखमली घास के ढलाऊ मैदान पर टहल रहे
हों। आपके ठीक सामने हाथ बढाकर बस छू लेने लायक बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां हों।

आसमान हर पल
रंग बदल रहा हो आप जमीन पर जहां भी नजर दौडाए वहां आपको तरह-तरह के मंजर दें,

तो निस्संदेह यह दुनिया
आपको किसी स्वप्नलोक से कम नहीं लगेगी। हिमशिखरों की तलहटी में जहां टिंबर लाइन (यानी पेडों की कतारें)
समाप्त हो जाती हैं वहां से हरे मखमली घास के मैदान शुरू होने लगते हैं।

आम तौर पर ये 8 से 10 हजार फीट
की ऊंचाई पर स्थित होते हैं। गढवाल हिमालय में इन मैदानों को बुग्याल कहा जाता है।


बुग्याल हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है। स्थानीय लोगों और मवेशियों के लिए ये चरागाह का
काम देते हैं

तो बंजारों, घुम्मंतुओं और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए आराम की जगह व कैंपसाइट का। गरमियों की
मखमली घास पर सर्दियों में जब बर्फ की सफेद चादर बिछ जाती है

तो ये बुग्याल स्कीइंग और अन्य बर्फानी खेलों
का अड्डा बन जाते हैं। गढवाल के लगभग हर ट्रैकिंग रूट पर आपको इस तरह के बुग्याल मिल जाएंगे। कई
बुग्याल तो इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि अपने आपमें सैलानियों का आकर्षण बन चुके हैं।

जब बर्फ पिघल चुकी
होती है तो बरसात में नहाए वातावरण में हरियाली छाई रहती है। पर्वत और घाटियां भांति-भांति के फूलों और
वनस्पतियों से लकदक रहती हैं।

अपनी विविधता, जटिलता और सुंदरता के कारण ही ये बुग्याल घुमक्कडी के
शौकीनों के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहे हैं।

मीलों तक फैले मखमली घास के इन ढलुआ मैदानों पर

विश्वभर से प्रकृति प्रेमी सैर करने पहुंचते हैं।इनकी खूबसूरती यही है कि हर मौसम में आपको इन पर नया रंग
दिखेगा और नया नजारा।


बरसात के बाद इन ढलुआ मैदानों पर जगह-जगह रंग-बिरंगे हंसते हुए फूल आपका स्वागत करते दिखाई देंगे।
बुग्यालों में पौधे एक निश्चित ऊंचाई तक ही बढते हैं।

जलवायु के अनुसार ये ज्यादा ऊंचाई वाले नहीं होते। यही
वजह है कि इन पर चलना बिल्कुल गद्दे पर चलना जैसे लगता है।

यूं तो गढवाल की वादियों में कई छोटे-बडे
बुग्याल पाये जाते हैं, लेकिन लोगों के बीच जो सबसे ज्यादा मशहूर हैं

उनमें बेदनी बुग्याल, पवालीकांठा, चोपता,
औली, गुरसों, बंशीनारायण और हर की दून प्रमुख हैं। इन बुग्यालों में रतनजोत, कलंक, वज्रदंती, अतीष, हत्थाजडी
जैसी कई बेशकीमती औषधि युक्त जडी-बू्टियां भी पाई जाती हैं।

इसके साथ-साथ हिमालयी भेड, हिरन, मोनाल,
कस्तूरी मृग और धोरड जैसे जानवर भी देखे जा सकते हैं।

पंचकेदार यानि केदारनाथ, कल्पेश्वर, मदमहेश्वर,
तुंगनाथ और रुद्रनाथ जाने के रास्ते पर कई बुग्याल पडते हैं।

प्रसिद्ध बेदनी बुग्याल रुपकुंड जाने के रास्ते पर
पडता है। 3354 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस बुग्याल तक पहुंचने के लिए के लिए आपको ऋषिकेश से
कर्णप्रयाग, ग्वालदम, मंदोली होते हुए वाण पहुंचना होगा।

वाण से घने जंगलों के बीच गुजरते हुए करीब 10
किलोमीटर की चढाई के बाद आप बेदनी के सौंदर्य का लुत्फ ले सकते