अंतरराष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह में घुंघरुओं का कलरव
छतरपुर, 24 फरवरी ( जिले का विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर वास्तव में हमारी अमूल्य धरोहर हैं, जहां पुरातन वैभव संजोया गया है।
छतरपुर, 24 फरवरी जिले का विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर वास्तव में हमारी अमूल्य
धरोहर हैं, जहां पुरातन वैभव संजोया गया है। ऐसी जगह जब कोई नृत्यकार या नर्तक घुंघरू बांधकर
लय के साथ एकाकार होता है तो कुदरत भी उसके साथ झूमने को आतुर हो जाती है। यही अनुभव
विदेश से पधारे जी20 संस्कृति कार्य समूह के डेलिगेट्स और पर्यटकों को खजुराहो नृत्य समारोह के
चौथे दिन हुआ। जब मलयेशिया से आए रामली इब्राहिम के ग्रुप ने ओडिसी नृत्य की अविस्मरणीय
प्रस्तुति दी तो वहीं तेजस्विनी साठे ने भी अपने ग्रुप के साथ कथक का कमाल दिखाया।.. और
संयुक्ता सिन्हा के कहने ही क्या। उनकी प्रस्तुति भी चित्त को हरने वाली थी।
20 फरवरी को शुरू हुए अंतरराष्ट्रीय खजुराहो नृत्य समारोह में चौथे दिन की संध्या की शुरुआत
गुरुवार शाम 7.00 बजे ओडिसी नृत्य से हुई। कलाकार थे मलयेशिया मूल के रामली इब्राहिम और
उनके साथी। नृत्य संयोजन में उनके साथी कलाकारों ने भगवान राम पर केंद्रित अपनी नृत्य प्रस्तुति
दी। 'जय राम नाम की यह प्रस्तुति वास्तव में एक तरह ओडिसी रामलीला थी। भरत मिलाप,सीता
हरण, जटायु रावण का युद्ध, हनुमान का लंका गमन, सीता की खोज लंका दहन, राम रावण युद्ध
और रावण वध जैसे कई दृश्यों को रामली और उनके साथियों ने ओडिसी की देह गतियों व नृत्यभावों
में डालकर बड़े ही मनोहारी ढंग से पेश किया। बेहतरीन संगीत रचनाओं में आबद्ध यह प्रस्तुति
दर्शकों में एक अनूठा जोश जगा गई। नृत्य की अवधारणा रामली इब्राहीम ओर गजेंद्र पांडा की थी
जबकि संगीत संयोजन गजेंद्र कुमार पांडा, डॉ .गोपाल चंद्र पांडा, सचितानंददास का था।
अगली प्रस्तुति देश की जानी मानी नृत्यांगना संयुक्ता सिन्हा की कथक नृत्य की रही। उन्होंने दुर्गा
स्तुति से अपने नृत्य का शुभारंभ किया। संस्कृत के सस्वर श्लोक में भाव प्रदर्शित करते हुए हुए
उन्होंने झपताल में निबद्ध भैरवी की बंदिश भवानी दयानी महा वाक वानी पर मां दुर्गा के विभिन्न
रूपों को नृत्यभिनय में पिरोते हुए बड़े ही सलीके से पेश किया। इसके बाद तीनताल में उन्होंने शुद्ध
नृत्य की प्रस्तुति दी। नृत्य का समापन उन्होंने ठुमरीनुमा रचना से किया। रचना पर पिया से मिलने
की चाह में बैठी नायिका की विरह वेदना को उन्होंने अपने नृत्यभावों से बखूबी पेश किया। इस
प्रस्तुति में तबले पर योगेश और मोहित गंगानी ने साथ दिया जबकि गायन पर थे समीउल्लाह खान,
सारंगी पर अमीर खां ने साथ दिया।
कार्यक्रम का समापन पुणे से आईं तेजस्विनी साठे और उनके साथियों के कथक नृत्य से हुआ। राग
परमेश्वरी के सुरों में सजी तीनताल की बंदिश - नर्तन करत श्री गणेश पर उन्होंने गणपति जी को
साकार करने की कोशिश की। अगली प्रस्तुति अंतर्नाद की थी। इसमें उन्होंने साथियों के साथ चौताल
पर पारंपरिक शुद्ध नृत्य की प्रस्तुति दी। ठाट आमद, तोड़े, परन और तिहाइयाँ के साथ उन्होंने शुद्ध
नृत्य के विविध रंग दिखाए। अगली प्रस्तुति में उन्होंने भाव नृत्य पेश किया। एक नायिका जिसका
पति दूर गया है वह उसके लौटने का इंतज़ार कर रही है। सजन संग प्रीत सजी री.. इस रचना पर
उन्होंने बड़े ही सहज ढंग से विरहणी नायिका के भावों को नृत्य अभिनय से पेश किया। उन्होंने
चौताल में ध्रुपद की बंदिश- महादेव शंकर हरि पर नृत्य की प्रस्तुति दी और शिव को साकार करने
की कोशिश की। नृत्य का समापन उन्होंने भैरवी में एक तराने से किया। इन प्रस्तुतियों में संगीत
संयोजन उदय रामदास जी और आमोद कुलकर्णी का था।
खजुराहो के वैभव में खो गए जी 20 के प्रतिनिधि
खजुराहो में 22 से 25 फरवरी तक चल रही जी-20 सांस्कृतिक समूह की बैठक में शामिल होने आए
विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने दिन में जहां खजुराहो के वैभव के दर्शन किये तो वे यहां के सौंदर्य
में मानो खो से गए। उन्होंने यहां के मंदिरों को देखा और शाम को खजुराहो नृत्य समारोह में
भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का लुत्फ उठाया। खजुराहो नृत्य समारोह में उन्होंने कथकली पर केंद्रित
प्रदर्शनी नेपथ्य का अवलोकन किया और कथकली नृत्य की जानकारी ली। पियाल भट्टाचार्य ने
उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। सेरेमिक ओर पोटरीज कला पर लगी प्रदर्शनी में भी जी 20 के
प्रतिनिधियों ने काफी रुचि दिखाई। उन्होंने आर्ट मार्ट में वाटर कलर की पेंटिंग्स का भी आनंद लिया।
बाद में सभी ने आज की नृत्य प्रस्तुतियों का लुत्फ उठाया।