पत्रकार से उप मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे अग्निहोत्री

शिमला, 11 दिसंबर ()। हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बने मुकेश अग्निहोत्री पत्रकारिता से राजनीति का सफर तय करते हुये इस पद तक पहुंचे हैं।

पत्रकार से उप मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे अग्निहोत्री

शिमला, 11 दिसंबर ( हिमाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बने मुकेश अग्निहोत्री पत्रकारिता से
राजनीति का सफर तय करते हुये इस पद तक पहुंचे हैं। पंजाब की सीमा से लगते ऊना जिले की

हरोली तहसील के गाेंदपुर जयचंद गांव के निवासी श्री अग्निहोत्री पांचवीं बार विधायक बने हैं। उन्होंने
राजनीति में प्रवेश करने के बाद पंचायत प्रधान

, पंच और जिला परिषद का कोई चुनाव नहीं लड़ा,


बल्कि सीधे विधायक के रूप में विधानसभा में कदम रखा था। राज्य के राजनीतिक इतिहास में वह
पहले उपमुख्यमंत्री बने हैं।


श्री अग्निहोत्री का जन्म 09 अक्तूबर 1962 में पंजाब के संगरूर में जिला जनसम्पर्क अधिकारी रहे
ओंकार चंद शर्मा के घर में हुआ था। श्री शर्मा ने संतोखगढ़ से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा चुनाव


लड़ा था, लेकिन हार गये थे। उनके बाद कांग्रेस ने अग्निहोत्री को संतोषगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव
मैदान में उतारा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ऊना जिले में ही हुई। उनके बड़े भाई डॉ. राकेश


अग्निहोत्री चिकित्सक हैं। उनकी तीन बहनें हैं। विदेश में पढ़ाई कर चुकी उनकी पुत्री आस्था
अग्निहोत्री पीएचडी कर रही हैं।

उनकी पत्नी सिम्मी अग्निहोत्री हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के
लोक प्रशासन विभाग में प्रोफेसर हैं। अग्निहोत्री का ससुराल मंडी शहर में है।


गणित विषय में एमएससी की डिग्री हासिल करने के बाद मुकेश अग्निहोत्री ने जनसम्पर्क विषय में
स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया और पत्रकार बन गए। वह शिमला और दिल्ली में पत्रकार के रूप में करीब


दो दशक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। दिल्ली में पत्रकारिता के दौरान कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से
नजदीकियां बढ़ीं। बाद में वह पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सम्पर्क आये और उनके


करीबियों में शुमार रहे। यहीं से उन्होंने पत्रकारिता से राजनीति में कदम रखा। वर्ष 1993 में वीरभद्र
सिंह के मुख्यमंत्री बनने पर उनके पिता को हिमाचल प्रदेश एग्रो पैकजिंग निगम का उपाध्यक्ष बनाया


गया था। वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में श्री शर्मा को कांग्रेस पार्टी ने संतोषगढ़ क्षेत्र से प्रत्याशी


बनाया, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी पंडित जयकिशन शर्मा से हार का सामना करना
पड़ा।


इसके बाद साल 2003 के विधानसभा चुनाव में श्री शर्मा के बजाए मुकेश अग्निहोत्री को कांग्रेस पार्टी
ने प्रत्याशी बनाया और वह पहली बार में ही चुनाव जीत गये और मुख्य संसदीय सचिव रहे। वर्ष


2007 में वह उन्होंने संतोषगढ़ से विधानसभा चुनाव जीते। वर्ष 2012 में परिसीमन होने पर
संतोषगढ़ ऊना विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हो गया तथा हरोली विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया।


अग्निहोत्री तीसरी बाद हरोली से विधानसभा में पहुंचे और वीरभद्र सरकार में उद्योग मंत्री रहे।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की, लेकिन कांग्रेस चुनाव


हार गई और राज्य में भाजपा की सरकार बनी। वर्ष 2018 में वह सदन में कांग्रेस विधायक दल और
विपक्ष के नेता बनाये गये। उन्होंने चार साल में जम कर जयराम सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला।


वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी आलाकमान ने स्टार प्रचारक बनाया। प्रदेशभर में


उन्होंने प्रत्याशियों के लिए दर्जनों रैलियां कीं। लगातार पांच बार जीतने के बाद वह मुख्यमंत्री पद की
दौड़ में शामिल थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से नवाजा।