प्रतिदिन मिलने वाले संक्रमित में 70 प्रतिशत बिसरख ब्लाक से

नोएडा, 10 मई । जिले में कोरोना शहरी क्षेत्र के मुकाबले गांव में अभी भी कोरोना संक्रमित मरीज कम सामने आ रहे हैं।

प्रतिदिन मिलने वाले संक्रमित में 70 प्रतिशत बिसरख ब्लाक से

नोएडा, 10 मई ( जिले में कोरोना शहरी क्षेत्र के मुकाबले गांव में अभी भी कोरोना संक्रमित मरीज कम
सामने आ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि प्रतिदिन होने वाल जांच में मिले 70 प्रतिशत से
अधिक संक्रमित बिसरख ब्लाक से हैं,

जबकि शेष अन्य मामले तीन ब्लाक से हैं। स्पष्ट है कि कोरोना ने
शहरवासियों की तुलना में ग्रामीणों को कम ही निशाना बनाया है।


जिला डिप्टी सर्विलांस अधिकारी डा.मनोज कुशवाहा का कहना है कि बिसरख ब्लाक में आने वाले नोएडा और ग्रेटर
नोएडा एक्सटेंशन क्षेत्र में सेक्टर, हाइराइज सोसायटी और गांव के अलावा बड़ी संख्या में लोग झुग्गी-झोपड़ी में रहते


हैं। यहां सोसायटी व सेक्टर में लाखों की संख्या में लोग रहते है, तो वहीं गांवों व झुग्गी झोपड़ी में कम जगह में
अधिक लोग रहते हैं। इससे संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

प्रतिदिन होने वाली जांच के दौरान मिलने वाले नए
मरीजों में 70 प्रतिशत से अधिक बिसरख ब्लाक से हैं। वहीं शेष अन्य ब्लाक से हैं।

सबसे कम जेवर ब्लाक में
मरीज मिलते हैं।

हालांकि कंटेनमेंट जोन की गाइडलाइन बदलने के बाद अब सीलिग की कार्रवाई नहीं होती है। जिले
में एक भी ऐसी सोसायटी नहीं हैं, जहां क्लस्टर में मरीज मिले हैं।


हजारों लोगों ने दर्ज कराया गलत पता : भौगोलिक स्थिति पर गौर करने के दौरान सैकड़ों संक्रमित ऐसे भी मिले
है, जिन्होंने स्वास्थ्य विभाग की टीम को अलग-अलग पता बताया।

किसी ने पहली बार बिसरख तो दूसरी बार में
दादरी ब्लाक का पता लिखवाया। वहीं कई ने गलत मोबाइल नंबर दर्ज कराया है।

ऐसे लोगों के संपर्क में आए लोगों
की तलाश करना विभाग के लिए चुनौती है।


24 घंटे में 116 नए संक्रमित मिले : जिले में मंगलवार को बीते 24 घंटे में 12 स्कूली बच्चों समेत कोरोना के
116 नए संक्रमित मिले हैं। 141 मरीज स्वस्थ भी हुए है।

सक्रिय मरीजों की संख्या 649 रह गई है। नौ मरीज
इलाज के लिए शहर के विभिन्न कोविड अस्पतालों में भर्ती हैं,

जबकि 640 सक्रिय मरीज होम आइसोलेशन में हैं।
कोरोना जांच के लिए बीते 24 घंटे में तीन हजार से अधिक नमूने लिए गए।

एक हजार नमूनों की जांच रैपिड
एंटीजन टेस्ट से हुई, जबकि दो हजार नमूने आरटी-पीसीआर जांच के लिए एकत्रित किए गए। दै

निक जांच के
मुकाबले संक्रमण दर तीन प्रतिशत से अधिक है।