प्रदूषण कम करने के नियम नहीं मानने पर सील हो सकते हैं उद्योग

गुरुग्राम, 12 अप्रैल (। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के चेयरपर्सन डा. एम.एम. कुट्टी ने कहा कि औद्योगिक ईकाइयों, ईंट भट्ठा मालिकों, निर्माण गतिविधियों से जुड़ी ऐजेंसियों तथा डिवलेपरों आदि को प्रदूषण कम करने के लिए

प्रदूषण कम करने के नियम नहीं मानने पर सील हो सकते हैं उद्योग

गुरुग्राम, 12 अप्रैल । वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के चेयरपर्सन डा. एम.एम. कुट्टी ने कहा कि
औद्योगिक ईकाइयों,

ईंट भट्ठा मालिकों, निर्माण गतिविधियों से जुड़ी ऐजेंसियों तथा डिवलेपरों आदि को प्रदूषण
कम करने के लिए बनाए गए

नियमों तथा हिदायतों का स्वयं पालन करना है, यानी ये सेल्फ रेगुलेटरी हैं। यदि
आप नहीं करेंगे तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी नियमों की पालना सुनिश्चित करेंगे।

कोताही पाए जाने पर
आप पर पर्यावरण नुकसान भरपाई पैनेल्टी लगेगी और ईकाई या संस्थान को बंद या सील किया जा सकता है।


यह बात उन्होंने मंगलवार को यहां सेक्टर-18 स्थित हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) परिसर में गुरुग्राम,
फरीदाबाद, पलवल, नूंह, रेवाड़ी तथा महेन्द्रगढ़ जिलों की औद्योगिक एसोसिएशंस, ईंट भट्टा मालिकों, रीयल अस्टेट
डेवेलपर्स सहित विभिन्न हित धारकों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कही। इस बैठक का विषय एनसीआर में वायु
गुणवत्ता सुधार तथा स्वच्छ पर्यावरण रहा। उन्होंने कहा कि हम किसी भी ईकाई या संस्थान को सील या बंद नहीं
करना चाहते, इसलिए नियमों का पालन करें। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि जो ईकाइयां या संस्थान सील
किए जा चुके हैं, वे निर्धारित तीन दस्तावेज जमा करवा दें,

उसके बाद तीन कार्य दिवसों में ही उस ईकाई या
संस्थान की सील हटा दी जाएगी।


डा. कुट्टी ने गुरुग्राम तथा आसपास के जिलों से आए औद्योगिक एसोसिएशंस के प्रतिनिधियों तथा अन्य
हितधारकों की समस्याएं भी सुनीं। उन्होंने कहा कि एनसीआर में प्रदूषण के 80 प्रतिशत कारक औद्योगिक ईकाइयों


व वाहनों से निकलने वाला धुंआ तथा सड़क किनारे से उठने वाली धूल हैं। पराली जलाने से सालाना 4 प्रतिशत
प्रदूषण होता है लेकिन सितंबर-अक्टूबर महिनों में इसकी वजह से भी प्रदूषण में इजाफा होता है।

डा. कुट्टी ने कहा
कि एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने कि किसकी वजह से प्रदूषण ज्यादा होता है

, उसकी बजाय सभी को
मिलकर विचार करना होगा कि हम स्वयं प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं

और वे उपाय
हमें अपने पर्यावरण की बेहतरी के लिए खुद ही करने होंगे।

हर व्यक्ति, हर संस्था, ईकाई और संगठन यह संकल्प
लें कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए काम करेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि औद्योगिक ईकाइयों के
प्रतिनिधि प्रोफेशनल होते हैं और उन्हें यह पता है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उन्हें क्या करना है।


डा. एमएम कुट्टी ने कहा कि प्रदूषण को नियंत्रित करने का सभी का दायित्व है।

हम सभी को मिलकर प्रदूषण
कम करने के उपाय अपनाने होंगे। उन्होंने कहा कि आपकी कठिनाईयों को समझते हुए हमने बायोमार्स को इंधन के
रूप में प्रयोग करने की अनुमति दे दी है।

हरियाणा और पंजाब में अकेले धान से लगभग 25 मिलियन टन
बायोमास उपलब्ध होता है, इसलिए यहां पर बायोमार्स इंधन की कमी नही है।

उन्होंने सौर ऊर्जा के प्रयोग पर भी
बल दिया

। डा. कुट्टी ने कहा कि बिजली निगम औद्योगिक ईकाइयों को निर्बाध बिजली आपूर्ति करेंगे तो डीजल
जेनसैट के प्रयोग की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

यदि बिजली वितरण कंपनी सुचारू बिजली आपूर्ति नहीं करती है
तो हमें बताएं, हम उन पर भी जुर्माना करेंगे।

बैठक में विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिपा की महानिदेशक सुरीना
राजन मौजूद रही।