बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का अलर्ट जारी

भुवनेश्वर, 05 मई । बंगाल की खाड़ी में चक्रवात आने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में विशेष राहत आयुक्त और सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन) प्रदीप कुमार जेना ने गुरुवार को तटीय जिले के सभी जिला कलेक्टरों को अलर्ट जारी

बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का अलर्ट जारी

भुवनेश्वर, 05 मई )। बंगाल की खाड़ी में चक्रवात आने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में विशेष
राहत आयुक्त और सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन) प्रदीप कुमार जेना ने गुरुवार को तटीय
जिले के सभी जिला कलेक्टरों को अलर्ट जारी किया और तैयार रहने को कहा।


जेना ने ओडिशा के 18 जिलों के कलेक्टरों को कई निर्देश जारी किए। इनमें गंजम, गजापति, पूरी, खोरधा,
जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, जजपुर, भाद्रक, बालासोर, नयागढ़, कटक, मयूरभंज, क्योंझर, ढेंकनाल, मलकानगिरी,
कोरापुट, रायगढ़ और कंधमाल जिले शामिल हैं।


अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा, मौसम विभाग के दिशानिर्देशों के अनुसार बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात
के प्रभावों को कम करने के लिए सभी तैयारियां पहले से करना आवश्यक है। उन्होंने कलेक्टरों से प्राथमिकता के


तौर सभी उपायों को अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जिला आपातकालीन संचालन केंद्र
और अन्य कार्यालयों के नियंत्रण कक्षों को पर्याप्त जनशक्ति के साथ चौबीसों घंटे काम करना चाहिए। संचार


उपकरण जैसे फोन, फैक्स आदि काम करने की स्थिति में होने चाहिए।


प्रारंभिक चेतावनी प्रसार प्रणाली (ईडब्ल्यूडीएस) परियोजना के तहत छह तटीय जिलों में सैटेलाइट फोन, डिजिटल
मोबाइल रेडियो संचार प्रणाली पहले से ही स्थापित की जा चुकी है। जेना ने कलेक्टरों से कहा कि आवश्यकता पड़ने
पर इन उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करें।


उन्होंने कलेक्टरों से सभी कमजोर लोगों की पहचान करने और उन्हें सुरक्षित आश्रयों पर स्थानांतरित करने के लिए
कहा। साथ ही कच्चे घरों में रहने वाले, तट के पास या निचले इलाकों में रहने वाले लोगों, वृद्ध, महिलाओं और


बच्चों सहित अन्य कमजोर व्यक्तियों को आश्रय भवनों में रहने के लिए एक विस्तृत निकासी योजना तैयार करने
का सुझाव दिया।


स्थानीय अधिकारियों जैसे आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, महिला शिक्षक, महिला कांस्टेबल और होमगार्ड आदि की
एक टीम को प्रत्येक आश्रय का प्रभारी बनाया जाए।

एडवाइजरी के अनुसार, यह कार्य छह मई तक पूरा करने का
लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय खंड विकास अधिकारी और तहसीलदार द्वारा सभी चक्रवात और बाढ़

आश्रयों की जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा पानी की आपूर्ति, शौचालय, जनरेटर, मैकेनिकल कटर और अन्य
उपकरणों की भी जांच होनी चाहिए।