बच्चों को उनकी पसंद की कला सीखने के लिए करें प्रोत्साहित : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, 09 अप्रैल । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को स्कूलों और अभिभावकों से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत बच्चों को उनकी पसंद की किसी भी कला को सीखने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।

बच्चों को उनकी पसंद की कला सीखने के लिए करें प्रोत्साहित : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली, 09 अप्रैल  उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को स्कूलों और अभिभावकों से भारत
की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत बच्चों को उनकी पसंद की किसी
भी कला को सीखने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।

अपनी जड़ों की ओर वापस जाने की आवश्यकता
पर बल देते हुए उन्होंने भारतीय समाज में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का आह्वान किया।


उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि पश्चिमी संस्कृति के प्रति दीवानगी के कारण कठपुतली जैसी हमारी समृद्ध
पारंपरिक लोक कलाएं लुप्त होती जा रही हैं।

उन्हें न केवल सरकारों बल्कि बड़े पैमाने पर समाज की सक्रिय
भागीदारी के साथ पुनर्जीवित किया जाना है।

यह देखते हुए कि कम उम्र में रचनात्मकता और कला के संपर्क में
आने से बच्चों को अपने परिवेश के बारे में अधिक जागरूक बनने और उन्हें अधिक सार्थक जीवन जीने में मदद
मिलेगी नायडू कहा कि शैक्षणिक संस्थान अपने पाठ्यक्रम में कला विषयों को समान महत्व दें।


उपराष्ट्रपति संगीत नाटक अकादमी और ललित कला अकादमी फैलोशिप के साथ-साथ 2018 के अकादमी पुरस्कार
और कला पुरस्कारों की 62वीं राष्ट्रीय प्रदर्शनी के अवसर पर बोल रहे थे।

उन्होंने विज्ञान भवन में आयोजित
संयुक्त समारोह में 44 प्रतिष्ठित कलाकारों (4 फेलो और 40 पुरस्कार विजेताओं) को संगीत नाटक अकादमी
फैलोशिप एवं संगीत नाटक पुरस्कार तथा ललित कला अकादमी की 3 फेलोशिप तथा 20 राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान
किये।


'आजादी का अमृत महोत्सव' समारोह का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि कई गुमनाम नायकों ने हमारी आजादी
के लिए बलिदान दिया लेकिन उनकी कहानियां जनता के लिए काफी हद तक अनजान हैं क्योंकि उन्हें हमारी
इतिहास की किताबों में पर्याप्त स्थान नहीं मिला।

उन्होंने इन विकृतियों को ठीक करने और इन कम ज्ञात नायकों
द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किए गए योगदान पर प्रकाश डालने का आह्वान किया।


इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की लोककथाओं की समृद्ध परंपरा एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर
तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि समय बीतने के
साथ लोक परंपराओं के विभिन्न रूपों में गिरावट आई है और हमारी महान लोक

परंपराओं को संरक्षित करने के
लिए हर संभव प्रयास करने की जिम्मेदारी हम पर है।