विदेशी बाजारों के गिरावट से बीते सप्ताह तेल-तिलहनों के भाव टूटे

नई दिल्ली, 08 मई ( बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट से देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव हानि का रुख प्रदर्शित करते बंद हुए।

विदेशी बाजारों के गिरावट से बीते सप्ताह तेल-तिलहनों के भाव टूटे

नई दिल्ली, 08 मई ( बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट से देशभर के
तेल-तिलहन बाजारों में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव हानि का रुख प्रदर्शित करते बंद हुए।


बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में गिरावट रही और यह 100-150
डॉलर नीचे आ गए। स्थानीय स्तर पर कीमतों में आई कमी की यह प्रमुख वजह है।


उन्होंने कहा कि गर्मी के कारण मांग कमजोर होने से भी गिरावट बढ़ गई।
सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार ने सोयाबीन के डीऑयल्ड केक (डीओसी) के आयात पर प्रतिबंध को एक सितंबर


तक खोल दिया है, जिससे सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव रहा। अब सितंबर तक विदेशों से 5.50 लाख
टन तक डीओसी का आयात किया जा सकता है।

इस छूट के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन के साथ-साथ पामोलीन
तेल कीमतों में भी गिरावट आई।


सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में मंदा होने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पामतेल (सीपीओ) में भी
गिरावट आई।


उन्होंने कहा कि बीते साल के मुकाबले सरसों तेल विदेशी तेलों से सस्ते हो गये हैं। पहले आयातित तेलों के भाव
सरसों से कम होते थे लेकिन इस साल आयातित तेलों के भाव काफी अधिक हैं।

विदेशी खाद्य तेलों के भाव पिछले
साल के मुकाबले 25-30 प्रतिशत महंगे हुए हैं।


सूत्रों ने कहा कि सरकार को तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा तभी इस मामले में हम
आत्मनिर्भर बनेंगे। इससे हमारी विदेशी मुद्रा की बचत होगी। साथ ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार


बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा साल में 31 अक्टूबर तक देश का खाद्य तेलों का आयात लगभग दो लाख करोड़
रुपये के आंकड़े को छू सकता है, जो दो साल पहले 2020 में नवंबर तक 71,625 करोड़ रुपये का था और पिछले
साल एक लाख 17 हजार करोड़ के आंकड़़े को छू गया था।


सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 150 रुपये टूटकर 7,665-7,715
रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 400 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,400 रुपये

क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 60-60 रुपये हानि के
साथ क्रमश: 2,420-2,500 रुपये और 2,460-2,570 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।


सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बीच बीते सप्ताह सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव
क्रमश: 50-50 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 7,050-7,150 रुपये और 6,750-6,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद
हुए।


इसी तरह समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी गिरावट रही। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और सोयाबीन
डीगम के भाव क्रमश: 720 रुपये, 700 रुपये और 650 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 17,050 रुपये, 16,500 रुपये
और 15,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।


पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन के भाव भी हानि दर्शाते बंद
हुए। मूंगफली दाना 200 रुपये, मूंगफली तेल गुजरात 550 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,960-7,095 रुपये


और 16,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 60 रुपये टूटकर 2,675-
2,865 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।


समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बीच कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 600 रुपये
टूटकर 15,200 रुपये क्विंटल रह गया। पामोलीन दिल्ली का भाव भी 650 रुपये टूटकर 16,750 रुपये और


पामोलीन कांडला का भाव 500 रुपये टूटकर 15,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव 650 रुपये टूटकर 15,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।