विभाजन के दौरान अलग हो गई महिला भारत के भाइयों से मिली

इस्लामाबाद, 18 मई विभाजन के समय हुई हिंसा के दौरान अपने परिवार से अलग हो गई महिला 75 साल बाद भारतीय भाइयों से पाकिस्तान के करतारपुर में मिली।

विभाजन के दौरान अलग हो गई महिला भारत के भाइयों से मिली

इस्लामाबाद, 18 मई ( विभाजन के समय हुई हिंसा के दौरान अपने परिवार से अलग हो गई महिला 75
साल बाद भारतीय भाइयों से पाकिस्तान के करतारपुर में मिली।

यह महिला तब सिख परिवार में पैदा हुई थी
लेकिन पाकिस्तान में एक मुस्लिम दंपति ने उसे गोद लिया और पाला था।


डॉन अखबार की बुधवार की रिपोर्ट के मुताबिक, बंटवारे के समय सिख परिवार में पैदा हुई मुमताज बीबी तब
नवजात शिशु थी, जो हिंसक भीड़ द्वारा मारी गई अपनी मां के शव पर लेटी थी। मुहम्मद इकबाल और अल्लाह


राखी नाम के एक मुस्लिम जोड़े ने बच्ची को गोद लिया और उसे अपनी बेटी के रूप में पाला। उसका नाम
मुमताज बीबी रखा।

विभाजन के बाद इकबाल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शेखूपुरा जिले के वरिका तियान गांव में
बस गए। इकबाल और उसकी पत्नी ने मुमताज को यह नहीं बताया कि वह उनकी बेटी नहीं है। दो साल पहले


इकबाल की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसने मुमताज से कहा कि वह उसकी असली बेटी नहीं है और वह
एक सिख परिवार से है।


इकबाल की मौत के बाद मुमताज और उनके बेटे शहबाज ने सोशल मीडिया के जरिए अपने परिवार की तलाश शुरू
की। मुमताज़ अपने असली पिता का नाम और भारत के पंजाब के पटियाला जिले के गांव सिदराना को जानती थी,
जहां उसके पिता अपने पैतृक घर को छोड़ने के बाद बस गए थे।


इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए दोनों परिवार जुड़े। मुमताज के भाई गुरुमीत सिंह, नरेंद्र सिंह और अमरिंदर
सिंह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचे। रिपोर्ट में कहा गया है कि


मुमताज अपने परिवार के सदस्यों के साथ वहां पहुंचीं और 75 साल बाद अपने खोए हुए भाइयों से मिलीं।


करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा दरबार
साहिब को भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से जोड़ता है।

चार किलोमीटर लंबा
कॉरिडोर भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के दरबार साहिब जाने की अनुमति देता है।