किसानों ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

पलवल, 24 मई कृषि कानूनों को वापस लेने के दौरान किए गए वादों को पूरा नहीं करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर मंगलवार को जिले के किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।

किसानों ने सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

पलवल, 24 मई। कृषि कानूनों को वापस लेने के दौरान किए गए वादों को पूरा नहीं करने को लेकर
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर मंगलवार को जिले के किसानों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके


उपरांत जिला उपायुक्त कार्यालय को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। किसान गांव कुसलीपुर स्थित गुर्जर
धर्मशाला में इकट्ठा हुए और सभा की। इसके बाद वे जुलूस निकालते हुए लघु सचिवालय पहुंचे। प्रदर्शन की


अध्यक्षता लाल पहलवान अलवालपुर ने की और संचालन धर्मचंद घुघेरा ने किया।


कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता महेंद्र सिंह चौहान व उदय सिंह सरपंच ने कहा
कि ज्ञापन में मांग की गई है कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए। इसके साथ ही


किसान आंदोलन में शहीद हुए 712 किसानों को आर्थिक मुआवजा दिया जाए, सभी किसानों के खिलाफ झूठे
मुकदमों को वापस लिए जाए,

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किए
जाए और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की जाए।


किसान नेताओं ने कहा कि मार्च में एकाएक बढे़ तापमान के कारण गेहूं की उत्पादन में गिरावट आई है और
किसानों को काफी नुकसान हुआ है। इसी को देखते हुए सरकार गेंहू की खरीद पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दे


और बोनस उन किसानों को भी दिया जाए जो पहले ही अपना गेंहू सरकारी एजेंसियों को बेच चुके हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियों ने भी पर्याप्त मात्रा में गेंहू की खरीद नहीं की है।

इससे किसानों को
उत्पादन की कमी और फसल की कम खरीद की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। गेंहू की भारी मांग व कम


उपलब्धता के बावजूद भी किसानों की आमदनी में इजाफा नहीं हो रहा है। किसान नेताओं ने बताया कि सरकारी
नीतियों का फायदा उठाकर निजी व्यापारी व कारपोरेट कंपनियां अनाज की मुनाफाखोरी में लगे हुए हैं।

इसके चलते
देश का खाद्यान भंडार प्रभावित हो रहा है और देश की खाद्य सुरक्षा गंभीर खतरे में पड़ रही है। इस दौरान


किसान नेता सोहनपाल चौहान, राजकुमार ओहलियान, रमेशचंद गौड़ौता, ताराचंद, दीपक तंवर, बिधू सिंह, नरेंद्र
सहरावत, श्रीचंद महाशय, लखनपाल, नेमचंद शर्मा, दरियाब सिंह, भागीरथ बेनीवाल,

अच्छेलाल, बीर सिंह, रणजीत
सिंह, चंद्र मुनि, श्रीपाल दीघौट, गिर्राज व राजेंद्र बैंसला ने भी अपने विचार व्यक्त किए।